नेता और मंत्री समझ लें कि पत्रकारों को लॉलीपॉप नहीं अब काम चाहिए, उनकी समस्याओं का पूरा समाधान चाहिए: डॉ. विवेक पाठक

'झारखंड में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने के नाम पर केवल थमाया जा रहा है लॉलीपॉप'

रांची: अपनी जान को जोखिम में डालकर तरह-तरह की खोजी पत्रकारिता करने वाले पत्रकार समाज को जगाने के साथ ही सरकार को आईना दिखाने का भी काम करते हैं। फिर भी शासन-प्रशासन पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाता। यहां तक कि नेता, विधायक और मंत्री से लेकर सभी लोग पत्रकारों को सुरक्षा के नाम पर केवल लॉलीपॉप थमा देते हैं। झारखंड की भी यही स्थिति है।

जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया (जेसीआई) के सदस्य डॉ. विवेक पाठक ने पत्रकार सुरक्षा कानून के नाम पर राज्य के पत्रकारों के साथ हो रहे खिलवाड़ को लेकर राज्य सरकार सहित सभी राजनीतिक दलों के नेताओं, विधायकों एवं सांसदों पर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय के दौरान राज्य की राजधानी रांची सहित राज्य के विभिन्न जिलों में पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार और उनके ऊपर हमले जैसी घटनाएं घट चुकी हैं, लेकिन पत्रकारों के प्रति सरकार का रवैया उपेक्षापूर्ण ही रहा है।

उन्होंने कहा कि झारखंड विधानसभा में जुगसलाई के झामुमो विधायक मंगल कालिंदी द्वारा पत्रकार सुरक्षा कानून का विषय उठाया जाना भर ही पर्याप्त नहीं है। इस विषय को लगातार चर्चा में बनाए रखकर इस पर ठोस कानून बनाने के लिए सरकार पर दबाव डालना सबसे महत्वपूर्ण है।

डॉ. विवेक पाठक ने कहा कि पत्रकारों का जीवन खतरों से चौतरफा घिरा होता है और इन पर कई तरह की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां भी होती हैं। समाज को सही रास्ता दिखाने के साथ ही विभिन्न प्रकार के घोटालों को उजागर करने में पत्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उन्होंने कहा कि कई ऐसे जटिल और पेचीदा मामले सामने आए हैं, जिनका खुलासा करने में पत्रकारों की महती भूमिका रही है। इस कारण पत्रकारों के जीवन में दोस्त कम, बल्कि दुश्मन अधिक पैदा हो जाते हैं। इसलिए सच्ची और ठोस पत्रकारिता करने वाला पत्रकार अक्सर खतरों से खेलने को मजबूर रहता है।

डॉ. विवेक पाठक ने कहा कि जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से देशभर के पत्रकारों की समस्याओं के निराकरण और उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए आवश्यक कानून बनाने की दिशा में सरकार से बार-बार आग्रह किया जा रहा है। साथ ही संगठन की ओर से पत्रकारों को एकजुट करने की दिशा में सार्थक पहल भी की जा रही है।

उन्होंने कहा कि शासन और प्रशासन की ओर से मात्र समाचार-पत्रों और टीवी पर खबर प्रसारित करने वाले पत्रकारों को ही महत्व देने की परंपरा सी चल पड़ी है। परंतु डिजिटल इंडिया की दिशा में बढ़ते हुए हमारे देश में न्यूज़ पोर्टल, ई-पेपर आदि सहित डिजिटल मीडिया को भी समाचार-पत्रों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बराबर मान्यता, पूरा मान-सम्मान और सुरक्षा प्रदान करना सरकार और शासन-प्रशासन का दायित्व है।

डॉ. विवेक पाठक ने कहा कि हाल ही में झारखंड के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून बन गया। लेकिन झारखंड में सत्ताधारी दल के एक विधायक मंगल कालिंदी इस विषय की चर्चा भर करके शांत हो गए।

उन्होंने सरकार और राज्य के विधायकों से सवाल किया है कि क्या केवल पत्रकारों की सुरक्षा और उनके हित में कदम उठाने के संबंध में चर्चा कर लेने से भर से पत्रकारों को सुरक्षा मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता जगत से जुड़े हर व्यक्ति को सुरक्षित वातावरण प्रदान करना सरकार और सभी पदाधिकारियों का दायित्व है। जेसीआई अपनी इन मांगों को लेकर तब तक संघर्ष करती रहेगी, जब तक इन मांगों को पूरा करके पत्रकारों के हित में सार्थक कदम नहीं उठाया जाता।

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