पत्रकारों के हित में केवल संगठन बनाना ही पर्याप्त नहीं, संगठनों का संगठित और जुझारू होना अत्यंत आवश्यक: अनुराग सक्सेना

जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया की वर्चुअल मीटिंग में सामने आए कई प्रस्ताव

रांची: पत्रकारों के हित में काम करने के नाम पर कई संगठन बनाए जा चुके हैं। परंतु केवल संगठन बनाना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि इन संगठनों का वास्तव में संगठित होना और जुझारू तरीके से काम करना अत्यंत आवश्यक है। साथ ही पत्रकारों के संगठनों में शामिल वरिष्ठ पदाधिकारियों को और अधिक जिम्मेदारी लेकर अपने साथियों के हित में निरंतर काम करने तथा संघर्ष करने के लिए आगे आना होगा।

पत्रकारों के हितों और उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए समर्पित राष्ट्रीय संस्था जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया (जेसीआई) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने संगठन की वर्चुअल मीटिंग को संबोधित करते हुए उपरोक्त बातें कहीं। उन्होंने कहा कि संगठित और जुझारू तरीके से काम करके ही हम पत्रकारों के हित में चल रहे अपने संघर्ष को बेहतर तरीके से आगे बढ़ा सकेंगे।

अपनी बात रखते हुए जेसीआई के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. आरसी श्रीवास्तव ने कहा कि संगठन के हर सिपाही को संगठन के हित के साथ ही पत्रकारों के हित के लिए सदैव मुस्तैद रहना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हमें यह प्रयास करना होगा कि किसी भी प्रकार से पत्रकारों का शोषण न हो सके।

सेवानिवृत्त जज एवं संस्था के वरिष्ठ पदाधिकारी विकास कुमार ने अपने विचार रखते हुए कहा कि पत्रकारों के हितों की रक्षा करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के साथ ही पत्रकारों के लिए संघर्ष करने और उनके अधिकारों को सुरक्षित करने की भी आवश्यकता है। तभी पत्रकार साहसपूर्वक निर्भीक होकर अपने कार्य को सही तरीके से अंजाम दे सकेंगे।

जेसीआई के वरिष्ठ पदाधिकारी राजू चारण ने पत्रकारों के बीच आपसी विद्वेष की बात छेड़ते हुए कहा कि पत्रकारों को एक-दूसरे के साथ मिलकर कदम उठाना होगा। उन्होंने कहा कि हम सभी पत्रकारों को केवल और केवल पत्रकारों के हितों की बात करनी चाहिए। हमें उन रास्तों का चयन करना चाहिए, जिनके माध्यम से हम पत्रकारों के हित में और अधिक बेहतर कार्य कर सकें।

अपनी बात रखते हुए संस्था के वरिष्ठ पदाधिकारी अजय शुक्ला ने कहा कि पत्रकार संगठनों के पदाधिकारियों को और भी अधिक परिश्रम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि समाचार पत्रों के जिला संवाददाताओं के अतिरिक्त अन्य पत्रकारों को भी पहचान दिलाने और उनके अधिकार के लिए आवाज उठाना अत्यंत आवश्यक है। प्रिंट मीडिया के अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और वेब मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए भी और बेहतर तरीके से आवाज उठानी होगी।

अपनी बात कहते हुए जेसीआई के वरिष्ठ पदाधिकारी राघवेंद्र त्रिपाठी ने पत्रकारों को प्रताड़ित किए जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में पत्रकारों के विरुद्ध फर्जी मुकदमे भी लिखे जा रहे हैं, जो पत्रकारों का उत्पीड़न है। इसे किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

संस्था के वरिष्ठ पदाधिकारी दानिश जमाल ने पत्रकारों से आपसी भेदभाव भुलाने का आह्वान करते हुए कहा कि आज हम सभी पत्रकारों को जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया के बैनर तले एकजुट होकर पत्रकारों के हित की लड़ाई लड़नी होगी। इस एकजुटता के माध्यम से ही पत्रकारों को वह मान-सम्मान और प्रतिष्ठा मिल सकती है, जिसके वे हकदार हैं।

उन्होंने कहा कि संगठन द्वारा सरकार से लगातार ई-पेपर और पोर्टल को मान्यता देने की मांग की जा रही है और संगठन का प्रयास तब तक जारी रहेगा, जब तक इन मांगों को पूरा न कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि अब इस प्रयास का असर दिखने भी लगा है और अलग-अलग प्रदेशों में ई-पेपर तथा होटल के प्रति सरकारों के रवैया में सुधार हुआ है। परंतु अभी भी काफी प्रयास करना बाकी है।

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