सहायक प्राध्यापकों की भलाई करने के बजाय सरकार उन्हें फिर से घंटी में बांधकर गुलाम ही रखना चाहती है: सहायक अनुबंध प्राध्यापक संघ
प्रति कक्षा 1500 रुपए और महीने के लिए 45000 रुपए की प्रस्तावित नीति का विरोध
रांची: सहायक अनुबंध प्राध्यापक संघ ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार सहायक प्राध्यापकों की भलाई करने के बजाय उन्हें फिर से घंटी में बांधकर गुलाम बनाए रखने की साजिश रच रही है। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा प्रति कक्षा 1500 रुपए एवं महीने के लिए 45000 रुपए की प्रस्तावित नीति को कैबिनेट की बैठक में रखने की बात का भी सहायक अनुबंध प्राध्यापक संघ ने विरोध किया है।
सहायक अनुबंध प्राध्यापक संघ के अध्यक्ष डॉ. त्रिभुवन कुमार शाही की अध्यक्षता में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक के दौरान संघ के सदस्यों ने उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा प्रति कक्षा 1500 रुपए एवं महीने के लिए 45000 रुपए की प्रस्तावित नीति को कैबिनेट की बैठक में रखने की बात का पुरजोर विरोध किया। संघ के सदस्यों ने आरोप लगाया कि सरकार की नीयत और नीति दोनों बदल गई है।
संघ ने कहा कि आज उच्च शिक्षा बेहाल हो गई है और उसे पाटने के लिए अनुबंध सहायक प्राध्यापक लगातार शिक्षण के साथ ही तमाम तरह के कार्य कर रहे हैं। परंतु उनकी पीड़ा सुनने वाला कोई भी नहीं है। इस संबंध में कुलाधिपति सहित मुख्यमंत्री, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग और सभी कुलपतियों के समक्ष गुहार लगाकर प्रतिमाह न्यूनतम ग्रेड पे निर्धारित करने का आग्रह भी किया गया।
संघ के सदस्यों ने कहा कि हमारे आग्रह पर आश्वासन के रूप में 1500 रुपए प्रति कक्षा का लॉलीपॉप थमा दिया गया और कक्षा भी कम कर दी गई। इस नीति का हम घोर विरोध करते हैं। यदि सरकार को हमारी इतनी ही चिंता है, तो ग्रेड पे या ग्रॉस सैलेरी के आधार पर मासिक वेतन दिया जाए।
उन्होंने कहा कि महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में घंटी आधारित सहायक प्राध्यापक विगत 2017 से संकल्प संख्या: 04/वि०-1-135/2016-516 दिनांक: 02.03.2017 के आधार पर नियुक्त हैं। वर्तमान में वेतन निर्धारण न होने के कारण यह सहायक प्राध्यापक कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। परंतु हमारी दशा सुधारने की पहल करने के बजाय उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग हमारे गले में पुनः घंटी बांधकर गुलामी करवाना चाहती है, जो निंदनीय है।
संघ के सदस्यों ने कहा कि यह उच्च योग्यताधारी सहायक प्राध्यापकों हेतु किसी भी स्थिति में न्याय उचित प्रतीत नहीं होता है। सहायक अनुबंध प्राध्यापक संघ उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रस्तावित नीति की घोर निंदा करने के साथ ही मांग करता है कि यदि शैक्षणिक स्तर में सुधार हेतु वेतन वृद्धि करनी ही है, तो यूजीसी रेगुलेशन के तहत ग्रेड पे एवं ग्रॉस सैलेरी के आधार पर ही ऐसा किया जाए।
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