राज्य के युवाओं ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर लगाया झूठ की हदें पार करने का आरोप, सरकार के 3 वर्ष के कार्यकाल को बताया विफल
मुख्यमंत्री से पूछा: 'सत्ता में बैठने से पहले किए गए वादों का क्या हुआ?'
रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झूठ बोलने की सारी हदें पार कर दी हैं। अपनी सरकार के लगभग 3 वर्ष के कार्यकाल के दौरान उन्होंने सरकार की झूठी उपलब्धियों का गुणगान किया, जबकि वास्तविकता इससे बिल्कुल विपरीत है। इस कारण झारखंड के युवाओं में भारी आक्रोश है और युवा आंदोलित हैं।
जेपीएससी अभ्यर्थी सफी इमाम और राजेश ओझा ने इन बातों के साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को घेरते हुए कई प्रश्न पूछे हैं। इन्होंने बयान जारी कर कहा कि मुख्यमंत्री कभी जेपीएससी में नियुक्ति की उपलब्धि, तो कभी जेपीएससी और जेएसएससी की नियमावली का गुणगान करते नहीं थक रहे। परंतु इनमें ऐसा क्या है, जिसका गुणगान किया जा सके।
जेपीएससी अभ्यार्थी सफी इमाम ने मुख्यमंत्री से प्रश्न पूछा है कि आपने सत्ता में बैठने से पहले कहा था कि सत्ता की कुर्सी पर पहुंचते ही छठी जेपीएससी को रद्द कर देंगे। परंतु सीएम बनते ही आपने जांच के बिना ही नियुक्ति क्यों दे दी।
सफी इमाम ने मुख्यमंत्री से यह भी पूछा कि आपने जेपीएससी नियमावली 2020 में आरक्षण को खत्म क्यों किया और उम्र सीमा 2011 के बदले 2016 क्यों कर दिया। साथ ही युवाओं को 2 वर्ष के अंदर 5 लाख नौकरी देने या राजनीति से संन्यास लेने की बात भी हेमंत सोरेन ने कही थी, उनके इस वादे का क्या हुआ। उन्होंने यह भी पूछा कि युवाओं को जब तक नौकरी नहीं मिल जाती तब तक उन्हें बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा, इस वादे का क्या हुआ।
इसी प्रकार जेपीएससी अभ्यर्थी राजेश ओझा ने भी मुख्यमंत्री से कई कड़े प्रश्न पूछे हैं। उन्होंने कहा कि सातवीं जेपीएससी में कई प्रकार की गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की बात सामने आई थी। फिर जांच किए बिना ही नियुक्ति कैसे दे दी गई। साथ ही नियुक्ति देने के 4 माह बीत जाने के बावजूद अब तक मार्कशीट को सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया।
राजेश ओझा ने सवाल उठाया कि जेएसएससी नियमावली 2021 में झारखंड के सामान्य वर्ग के साथ भेदभाव क्यों किया गया। उन्होंने मुख्यमंत्री को घेरते हुए कहा कि सरकार के 3 वर्ष लगभग पूरे हो चुके हैं, परंतु सरकार के पास अब तक एक भी ठोस नियोजन नीति नहीं है। छात्रों की उम्र परीक्षा दिए बिना ही खत्म हो रही है, उन्हें आखिर नियुक्ति कब मिलेगी।
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