नियुक्ति से पहले आवश्यक है नियोजन नीति, साथ ही उम्र सीमा में भी चाहिए छूट, इसके लिए होगा जोरदार आंदोलन: राजेश ओझा

युवाओं ने भरी हुंकार: नियुक्ति से पहले नियोजन नीति और उम्र सीमा में छूट को लेकर जोरदार आंदोलन की तैयारी

रांची: राज्य के लिए नियुक्ति से पहले नियोजन नीति निर्धारित करना और लागू करना आवश्यक है। झारखण्ड बनने के 22 वर्ष बाद भी राज्य का विकास नहीं हो सका। इसका कई कारण हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण कारण है ठोस नीति का अभाव। राज्य में अब तक न स्थानीय नीति, नियोजन नीति न ही एक ठोस औद्योगिक नीति, शिक्षा नीति न ही चिकित्सा नीति बन पाई है। जिस कारण राज्य लगातार पिछड़ता चला गया।

झारखंड यूथ एसोसिएशन और झारखंडी भाषा संघर्ष समिति के राजेश ओझा ने उपरोक्त बातें कहीं। उन्होंने कहा कि राज्य के समुचित विकास के लिए सबसे पहले ठोस स्थानीय-नियोजन जरूरी है।

उन्होंने कहा कि वर्ष भर आन्दोलन के पश्चात पिछले माह हेमंत केबिनेट ने आनन-फानन में 1932 आधारित स्थानीय नीति का प्रारूप लाने की बात कही, लेकिन उसमें भी नौवीं अनुसूची का पेंच फंसा दिया।

नियुक्ति से पहले नियोजन नीति की आवश्यकता पर जोर डालते हुए राजेश ओझा ने कहा कि नियोजन नीति के अभाव के कारण सभी परीक्षाएं रद्द हो जाती हैं। पिछली रघुवर दास की सरकार ने 2016 में नियोजन नीति बनाई, लेकिन राज्य को 11/13 में विभाजित कर दिया। इसे उच्चतम न्यायालय ने रद्द कर दिया, जिससे लाखो युवाओं की केरियर अधर में लटक गया।

उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार ने नियोजन नीति बनाने के बदले नियुक्ति नियमावली बनाकर शॉर्ट-कट रास्ता अपनाने की कोशिश की और जेपीएससी व जेएसएससी की नियमावली बनाई। जेपीएससी नियमावली 2020 में उम्र व आरक्षण सहित कई कमियां थीं। जबकि जेएसएससी नियमावली 2021 में मैट्रिक-इंटर करके नियुक्ति को उलझाने का काम किया।

इस प्रकार ठोस नियोजन नीति के अभाव से उत्पाद सिपाही, कारा चालक, एएनएम जैसी परीक्षाएं रद्द हुईं और सीजीएल परीक्षा को दो बार रद्द करना पड़ा। शिक्षक, पुलिस, दारोगा की हजारों-हजार नियुक्त प्रभावित हो रही हैं।

उन्होंने कहा कि समय पर नियुक्ति न होने पर लाखों युवाओं की उम्र बिना अवसर मिले खत्म हो गई है। ठोस नियोजन नीति नहीं होने के कारण नियुक्ति भी होती है, तो झारखण्ड से ज्यादा दूसरे राज्य के अभ्यर्थी नौकरी पाने में सफल हो जाते हैं। ऐसा रघुवर सरकार में धड़ल्ले से देखा गया है। हमें पूर्व की गलतियों को दोहराना नहीं चाहिए।

राजेश ओझा ने कहा कि ठोस नियोजन नीति नहीं बनने के कारण लगभग सभी परीक्षाएं कोर्ट चली जाती हैं और युवाओं के कई वर्ष बर्बाद हो जाते हैं। इसलिए हमें नियोजन नीति, नियुक्ति व उम्र सीमा छूट, तीनों ही मुद्दों को एक साथ लेकर ट्विटर अभियान या सड़क पर आन्दोलन करना होगा।

Comments