आदिवासी जन परिषद ने हूल दिवस के अवसर पर लिया बड़ा संकल्प
हूल दिवस के अवसर पर सिद्धू-कान्हू पार्क में किया गया माल्यार्पण
रांची: आदिवासी जन परिषद के तत्वाधान में हूल दिवस के अवसर पर सिद्धू-कान्हू पार्क में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। साथ ही आदिवासी जन परिषद की ओर से इस दिवस को एक संकल्प दिवस के रूप में मनाया गया क्योंकि आज झारखंड में ही नहीं, देश में भी एक हूल की आवश्यकता है।
वक्ताओं ने कहा कि जिस प्रकार 1855 में सिद्धू-कान्हू, चांद भैरव, फूलो झानो ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ और साहूकारी जमीदारों के खिलाफ हूल की शुरुआत की थी, अंग्रेजों माटी छोड़ो, करो या मरो की तर्ज पर आगे बढ़े थे और हूल का ऐलान किया था, उसी प्रकार आज झारखंड में भी एक और हूल की आवश्यकता है।
वक्ताओं ने कहा कि झारखंड के आदिवासियों और मूलवासियों की नौकरी के लिए स्थानीय नियोजन नीति लागू नहीं हो रहा है। झारखंड में, खास कर रांची जिले में आदिवासियों की जमीन की लूट जोरों पर है। यहां पर समता जजमेंट के आधार पर कानून नहीं बनाया जा रहा है और न ही पांचवी अनुसूची का पालन हो रहा है।
उन्होंने कहा कि झारखंड मे रोजगार के अभाव में यहां के आदिवासी और मूलवासी छात्र एवं युवा दूसरे राज्यों में पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं। यहां की स्थिति से पता चलता है कि यहां के नौकरशाह और नेता झारखंड को खोखला करने में लगे हुए हैं। इसलिए झारखंड के हित के लिए सिद्धू-कान्हू की तर्ज पर एक और हूल की आवश्यकता है।
प्रधान महासचिव अभय भुट कुंवर ने कहा कि झारखंड को बने 21 वर्ष हो गए, लेकिन झारखंड में बुनियादी सवाल आज भी जस के तस हैं। स्थानीय नीति और रोजगार के समस्या के कारण झारखंड के लोग लगातार पलायन कर रहे हैं। इसलिए भ्रष्टाचार के विरोध में एक हूल आवश्यक है।
इस अवसर पर प्रधान महासचिव अभय भुट कुंवर, उपाध्यक्ष किस्टो कुजूर, उपाध्यक्ष उमेश लोहरा, महिला मोर्चा उपाध्यक्ष सेलिना लाकड़ा, सुषमा टोप्पो, सुषमा हेमरोम, प्रदीप खलखो, परमेश्वर सिंह मुंडा, शकुंतला उरांव, पुष्पा टोप्पो, चंद्रशेखर सिंह मुंडा, बंटी भुट कुंवर, संगीता टोप्पो, करमदेव सिंह मुंडा सहित कई अन्य लोग उपस्थित थे।
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