बालू संकट के कारण मजदूरों के सामने भुखमरी की नौबत: भुवनेश्वर केवट
निर्माण मजदूरों ने निकाली रैली, उपायुक्त को सौंपा 8 सूत्री मांग पत्र
रांची: बालू संकट के कारण राज्य के निर्माण मजदूरों के सामने भुखमरी का संकट उत्पन्न हो गया है। इस संकट के विरोध में रांची के निर्माण मजदूरों ने निषेधज्ञा के बावजूद सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। 'काम दो या भत्ता दो, रोजगार नहीं तो सरकार नहीं,' जैसे नारों के साथ निर्माण मजदूरों ने सरकार से अपनी आजीविका बचाने की गुहार लगाते हुए रोष व्यक्त किया।
निर्माण मजदूरों ने रोजगार न मिलने तक सभी मजदूरों को प्रतिमाह 7500 रुपए बेरोजगारी भत्ता का भुगतान करने की मांग भी की। सैकड़ों मजदूरों ने मोरहाबादी से रैली की शक्ल में उपायुक्त कार्यालय तक मार्च किया और उपायुक्त को 8 सूत्री मांग पत्र सौंपा। इसके बाद मजदूर रैली की शक्ल में राजभवन के निकट स्थित जाकिर हुसैन पार्क पहुंच कर धरने पर बैठ गए।
निर्माण मजदूर यूनियन के महासचिव भुवनेश्वर केवट ने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड में बालू संकट के कारण मजदूरों के रोजगार और आजीविका का संकट उत्पन्न हो गया है। माफिया, नेता और अधिकारियों के गठजोड़ ने बालू को कमाई का कारोबार बना दिया है।
उन्होंने कहा कि मजदूरों को दो जून की रोटी तक नसीब नहीं हो रही है। इससे सरकारी विकास का ढोंग बेनकाब हो गया है। उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार को मजदूरों की रोजी-रोटी पर बुलडोजर चलाने का अधिकार नहीं है।
इस अवसर पर भीम साहू ने कहा कि रोजगार पाना मजदूरों का मौलिक अधिकार है। लेकिन गरीब कल्याण वर्ष मनाते-मनाते सरकार ने गरीबों का ही बंटाधार कर दिया है। श्रमिक नेता पुष्कर महतो ने कहा कि केंद्र और राज्य के झगड़े में मजदूर पिस रहे हैं। काम न मिलने तक सरकार वैकल्पिक भत्ता देने की गारंटी दे।
इस काम दो - भत्ता दो कार्यक्रम को एपवा नेत्री नंदिता भट्टाचार्य, मजदूर नेता मंटू तांती, अशोक चौधरी, पुष्कर महतो, सरिता मुंडा, पैरो लकड़ा, अरुण दास, चुरामन पंडित, बिनोद रजक, लव कुश प्रजापति, दिनेश लोहरा, हीरामणि तिग्गा, गणेश शर्मा, मेघलाल साव, सधनी मुंडा सहित कई अन्य ने संबोधित किया।
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