'जब रथयात्रा में मेला लगाने की अनुमति नहीं, तो इतने बड़े विरोध प्रदर्शन की अनुमति कैसे?'
विभिन्न संगठनों एवं समाजसेवियों ने उठाए गंभीर सवाल
रांची: झारखंड की राजधानी रांची में 10 जून (शुक्रवार) को जुमे की नमाज के बाद हुए उपद्रव का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। विभिन्न राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों, धार्मिक संगठनों एवं समाजसेवियों ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि यह घटना संयोग से नहीं हुई थी, बल्कि सोची-समझी रणनीति के तहत इसे अंजाम दिया गया था।
श्री महावीर मंडल डोरंडा केंद्रीय समिति के अध्यक्ष संजय पोद्दार एवं समिति के मंत्री पप्पू वर्मा ने झारखंड सरकार और जिला प्रशासन पर प्रश्न उठाते हुए इस घटना की कड़ी शब्दों में निंदा की है। उन्होंने प्रश्न उठाया है कि जब जगन्नाथपुर रथयात्रा में मेला लगाने और लोगों को एकत्रित होने की अनुमति नहीं दी जा रही है, तो रांची में एक विशेष समुदाय को इतने बड़े विरोध प्रदर्शन की अनुमति कैसे दे दी गई।
उन्होंने कहा कि झारखंड की राजधानी रांची को एक विशेष समुदाय ने विरोध प्रदर्शन के नाम पर आग में झोंकने की साजिश की, जो अत्यंत निंदनीय है। इसके लिए पूर्ण रूप से सरकार की तुष्टीकरण नीति जिम्मेदार है। सरकार और जिला प्रशासन को इसका उचित जवाब देना होगा।
उन्होंने कहा कि डोरंडा में भी प्रदर्शनकारियों ने श्री महावीर मंडल डोरंडा केंद्रीय समिति के मुख्य संरक्षक बजरंग प्रसाद गुप्ता की दुकान को निशाना बनाकर तोड़फोड़ की। साथ ही तीन-चार अन्य दुकानों को भी निशाना बनाया गया। यह सब कुछ प्रशासन की मौजूदगी में हुआ, जो अत्यंत शर्मनाक है।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से विरोध प्रदर्शन के नाम पर विभिन्न शहरों को आग में झोंकने की साजिश चल रही है। यह साजिश अब रांची तक पहुंच चुकी है। प्रशासन को तत्काल शहर का अमन-चैन नष्ट करने का प्रयास करने वाले उपद्रवी तत्वों को चिह्नित करके उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
(स्रोत: विशेष न्यूज नेटवर्क - भारत)
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