रांची में जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया ने मनाया हिंदी पत्रकारिता दिवस
हर पत्रकार के लिए आवाज बुलंद करती है जेसीआई
रांची: पत्रकार चाहे अखबार से जुड़ा हो, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़ा हो, वेब मीडिया से जुड़ा हो या किसी भी अन्य माध्यम से पत्रकारिता का कार्य कर रहा हो, जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया हमेशा पत्रकार हित में तत्पर है और पत्रकारों के लिए काम करता रहेगा। शर्त बस इतनी है कि पत्रकार सही मायनों में पत्रकारिता कर रहा हो। जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया यानी जेसीआई पत्रकारों की समस्याओं के समाधान और पत्रकारों के सर्वांगीण विकास के लिए हर आवश्यक कदम उठाता रहेगा।
हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया के तत्वावधान में झारखंड की राजधानी रांची के मोरहाबादी में आयोजित एक पत्रकार गोष्ठी को संबोधित करते हुए संस्था से जुड़े विभिन्न पत्रकारों ने उपरोक्त बातें कहीं। इस पत्रकार गोष्ठी की अध्यक्षता जेसीआई की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य अशोक कुमार झा ने की।
अशोक कुमार झा ने कहा कि जेसीआई को यदि देश भर में कहीं से भी पत्रकारों की समस्याओं की कोई जानकारी मिलती है तो संस्था उनकी समस्याओं के हरसंभव समाधान के लिए प्रयासरत रहती है उन्होंने कहा कि पत्रकारों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है और पत्रकारिता को एक नया आयाम देने की ललक जागृत करनी है।
अपने संबोधन में जेसीआई के सदस्य डॉ. विवेक पाठक ने गोष्ठी में उपस्थित सभी पत्रकारों को हिंदी पत्रकारिता दिवस की शुभकामनाएं देते हुए हिंदी पत्रकारिता को सही रूप में जनता के समक्ष प्रस्तुत करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पत्रकारों के लिए बहुत सारी संस्थाएं हैं, लेकिन जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया उन संस्थाओं से कुछ हटकर है।
उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि जेसीआई केवल आरएनआई वाले पत्रकारों का ही साथ देगी, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का ही देगी, बल्कि जो भी व्यक्ति पत्रकारिता से जुड़ा हुआ है, जो भी पत्रकारिता में है, जिसने पत्रकारिता को अपना सबकुछ मान रखा है, उसके लिए यह हमेशा खड़ी है।
डॉ. विवेक पाठक ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर बनी हुई इस संस्था का अलग-अलग प्रदेशों में भी बड़ा जनाधार है। यह संस्था हर तरह के पत्रकार के लिए, उनके साथ हमेशा खड़ी रहने वाली संस्था है। उन्होंने कहा कि आज के समय में देखा जा रहा है कि जगह-जगह पत्रकारों के ऊपर हमले हो रहे हैं, इसकी निंदा होनी चाहिए और सरकार को उचित कदम उठाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि झारखंड में भी पत्रकारों के लिए काम करने वाली संस्थाएं हैं। लेकिन पत्रकारों के लिए जितने भी कार्य हुए हैं, जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया ने उसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है। सबसे बड़ी बात यह रही है कि इसने यह नहीं देखा कि कोई पत्रकार हमारी संस्था से जुड़ा हुआ है भी या नहीं।
डॉ. विवेक पाठक ने सभी पत्रकारों से पत्रकारिता को एक नए आयाम पर लाने के लिए एकजुट होने का आह्वान करते हुए कहा कि हिंदी पत्रकारिता आज मर रही है। आज हिंदी पत्रकारिता में अंग्रेजी शब्दों के साथ ही दूसरे शब्दों का उपयोग जमकर हो रहा है। हिंदी पत्रकारिता को हिंदी पत्रकारिता तक ही सीमित रखें।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजी शब्दों के उपयोग के लिए अंग्रेजी पत्रकार हैं, अन्य भाषाओं के लोग भी अपनी-अपनी भाषा की अन्य पत्रकारिता में हैं। परंतु हिंदी पत्रकारिता से जुड़े लोग ही अन्य भाषाओं को हिंदी पत्रकारिता में जबरन ठूंसने पर उतारू हैं। इसके पीछे कारण हम लोग भी हैं क्योंकि हम लोग हिंदी शब्द को स्वयं से दूर करते जा रहे हैं। हम लोग इस बात के लिए एकजुट हों कि हिंदी पत्रकारिता को पूरी शक्ति से, पूरी निष्ठा के साथ सही मायने में, बिना किसी मोलभाव के आगे लेकर बढ़ते रहें और हमेशा सही दिशा में आगे बढ़ते रहें।
इस अवसर पर डॉ. धीरज कुमार ने कहा कि आज समाज के अंदर पत्रकार प्रतिकूल परिस्थितियों में काम करने को विवश हैं। हमें पत्रकारों के हक और अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होकर आगे बढ़ने का संकल्प लेना होगा। उन्होंने कहा कि जनमत निर्माण और जनमत परिष्कार का नैतिक दायित्व पत्रकारों पर होता है। उन्होंने कहा कि हिंदी पत्रकारिता दिवस एक ऐसा अवसर है, जब हमें हर प्रकार से एकजुट होने का संकल्प लेना ही होगा।
डॉ. धीरज कुमार ने कहा कि आज हिंदी पत्रकारिता के समक्ष कई गंभीर चुनौतियां हैं। आज हिंदी चैनल में, समाचार-पत्रों में अंग्रेजी और उर्दू के शब्दों का धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज पत्रकारों को यह संकल्प लेना होगा कि उन्हें अपनी खबरें हिंदी में ही प्रस्तुत करनी चाहिए, ताकि उन्हें पढ़ने और सुनने वाले लोग भी हिंदी के प्रति जागरूक हो सकें।
इस अवसर पर महिला पत्रकार श्रुति सिंह ने कहा कि आज जब घर में किसी छोटे बच्चे को शिक्षा दी जाती है, तो उसे यह पढ़ाया जाता है कि 'दिस इज टोमेटो, दिस इज पोटैटो'। परंतु उसे यह सिखाने का प्रयास नहीं होता कि 'यह टमाटर है, यह आलू है'। उन्होंने कहा कि घर से ही बच्चों के मन में हिंदी के प्रति हीन भावना डाल दी जाती है।
उन्होंने कहा कि हम सभी भारतवासी हैं, परंतु विडंबना यह है कि भारत में रहने के बावजूद हमें अपनी भाषा के लिए हिंदी दिवस और हिंदी पत्रकारिता दिवस जैसे कार्यक्रम आयोजित करने पड़ते हैं। इससे यही पता चलता है कि कहीं न कहीं हिंदी लुप्त होती जा रही है। विकास के लिए हमारे पास सभी भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है, परंतु इसका मतलब यह नहीं कि हम अपनी भाषा हिंदी को हेय दृष्टि से देखें। हमें हिंदी भाषा को हमेशा सर्वप्रथम रखना होगा।
इस पत्रकार गोष्ठी में चंदन पाठक, अर्चना कुमारी, रंजीत शर्मा, अवंतिका रॉय, अवधेश कुमार यादव, अर्जुन कुमार, कुमार प्रज्वलित सहित विभिन्न संस्थानों से जुड़े पत्रकार साथी उपस्थित थे।
(स्रोत: विशेष न्यूज नेटवर्क - भारत)
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