बाबूलाल मरांडी पर फैसला आने से पहले ही सत्ता पक्ष की टिप्पणी का क्या मतलब!
भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने सत्ता पक्ष को लिया आड़े हाथों
रांची: भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में वादी राजकुमार यादव के वीडियो को जारी करते हुए प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि सत्तापक्ष ने ठान लिया है कि ऐन-केन प्रकारेण बाबूलाल की सदस्यता खत्म करके ही मानेंगे। उन्होंने कहा कि कानून के सबसे पुराने सिद्धान्तों में से एक है कि सिर्फ न्याय होना ही नहीं चाहिए, बल्कि ऐसा प्रतीत भी होना चाहिए कि न्याय हुआ है।
प्रतुल शाहदेव ने कहा कि मुख्यमंत्री ने 17 जुलाई 2020 को प्रोजेक्ट भवन में पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि भाजपा विपक्ष के नेता के पद के लिए तरस जाएगी। उस समय भी मामला स्पीकर के न्यायाधिकरण में लंबित था और ऐसा लगा कि मुख्यमंत्री स्पीकर के न्यायाधिकरण पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि स्पीकर के न्यायाधिकरण ने मामले पर स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई शुरू कर दी, जिसे उच्च न्यायालय ने बाद में रोक दिया। फिर आनन-फानन में समय सीमा खत्म होने के बाद सत्ता पक्ष के कुछ विधायकों की ओर से भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के खिलाफ याचिका न्यायाधिकरण में दाखिल की गई।
प्रतुल शाहदेव ने कहा कि 17 मई 2022 को स्पीकर के न्यायाधिकरण में मामले की सुनवाई के दौरान पिटीशनर राजकुमार यादव यह कहते हुए दिख रहे हैं कि 'बाबूलाल गयो, जजमेंट हो गयो।' उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मुद्दई भी वही हैं और अदालत भी वही। जजमेंट आने से पहले ही वादी को पता है कि जजमेंट क्या आने वाला है। यह घटना स्पीकर के न्यायाधिकरण के सुनवाई के दौरान घटित हुई, जिसे झारखंड विधानसभा टीवी ने भी प्रसारित किया।
उन्होंने कहा कि स्पीकर को इस पूरे मामले पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, पर वो इस विषय पर बचते हुए दिख रहे हैं। यह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है। स्पीकर का न्यायाधिकरण एक स्वतंत्र इकाई होता है, पर राज्य में ऐसी धारणा बन रही है कि सारा कुछ राज्य सरकार के लिखे हुए स्क्रिप्ट पर घटित हो रहा है।
प्रेस वार्ता में प्रदेश मीडिया सह प्रभारी प्रेम मित्तल एवं अशोक बड़ाईक उपस्थित थे।
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