'राज्य में जीरो कट बिजली का वादा साबित हुआ हाथी के दांत'
संजय पोद्दार ने हेमंत सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
रांची: झारखंड की पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार के समय बिजली उत्पादन के क्षेत्र में राज्य को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जितनी भी योजनाएं बनाई गई थीं, राज्य की मौजूदा हेमंत सोरेन सरकार ने उन सभी योजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल दिया। यही कारण है कि हेमंत सरकार द्वारा राज्य में जीरो कट बिजली की आपूर्ति करने का वादा हाथी के दांत जैसा साबित हुआ है। हेमंत सरकार की लापरवाही के कारण ही आज इस भीषण गर्मी के बीच प्रदेश के लोग त्राहि-त्राहि करने पर विवश हैं।
अंतरराष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन के प्रदेश सचिव संजय पोद्दार ने हमारे संवाददाता के साथ हुई एक बातचीत के दौरान राज्य के बिजली संकट पर प्रतिक्रिया देते हुए हेमंत सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार ने राज्य में 24 घंटे बिजली आपूर्ति करने का वादा किया था। परंतु उनका यह वादा केवल हाथी के दांत जैसा साबित हुआ।
उन्होंने कहा कि रघुवर दास की सरकार बनने से पहले झारखंड में मात्र 35 सबस्टेशन और पावर ग्रिड थे। रघुवर दास के 5 वर्षों के कार्यकाल के दौरान 105 सबस्टेशन और पावर ग्रिड का अभूतपूर्व निर्माण हुआ। परंतु मौजूदा हेमंत सरकार के कार्यकाल के दौरान अब तक 1 मेगावाट बिजली के उत्पादन पर भी काम नहीं किया गया और एक भी पावर प्लांट की स्थापना नहीं हो सकी।
संजय पोद्दार ने कहा कि पतरातू में एनटीपीसी द्वारा बनाए जा रहे पावर प्लांट से उत्पादन की डेडलाइन भी फेल हो चुकी है। हेमंत सरकार और विभाग की लापरवाही के कारण इसे लगातार टाला जा रहा है। साथ ही देवघर और तिलैया में बनने वाले पावर प्लांट के काम पर भी ग्रहण लगा हुआ है।
उन्होंने आरोप लगाया कि पावर सेक्टर में जितने भी एमओयू हुए हैं, उन सभी को हेमंत सरकार ने लटका रखा है। जो एमओयू हुए भी हैं, तो संबंधित कंपनियों को कोयले की खदान नहीं मिली है और जिन्हें मिली भी है, तो उनकी संबंधित खदान से कोयले का खनन शुरू भी नहीं हो सका है।
संजय पोद्दार ने कहा कि झारखंड में अभी भी 3 अल्ट्रा मेगावाट पावर प्लांट के निर्माण का पेंच फंसा हुआ है। कुल मिलाकर ऊर्जा के क्षेत्र में राज्य सरकार और ऊर्जा विभाग की घोर लापरवाही के कारण आज राज्य की जनता बिजली के लिए तरस रही है और त्राहि-त्राहि करने पर विवश है।
उन्होंने कहा कि यदि पूर्ववर्ती रघुवर दास की सरकार के दौरान तैयार की गई योजनाओं को सही तरीके से क्रियान्वित किया गया होता, तो आज झारखंड बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होता। उन्होंने हेमंत सरकार को इस विषय पर गंभीरतापूर्वक मंथन करके राज्य की जनता को बिजली की समस्या से निजात दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का सुझाव भी दिया।
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