'मंत्री जी, अब आप ठेकेदार नहीं, मंत्री हैं, न दें गैर-जिम्मेदाराना बयान'
संजय पोद्दार ने मंत्री हफीजुल हसन के बयान पर दी प्रतिक्रिया
रांची: श्री महावीर मंडल डोरंडा केंद्रीय समिति के अध्यक्ष संजय पोद्दार ने झारखंड सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल हसन द्वारा दिए गए 80/20 वाले बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह समाज को तोड़ने वाला बयान है। उन्होंने मंत्री हफीजुल हसन को नसीहत देते हुए कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के मुंह से ऐसी बातें शोभा नहीं देतीं।
ज्ञात हो कि झारखंड सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल हसन ने पिछले दिनों कहा था कि अगर 20 फीसदी घर बंद होंगे, तो बाकी 70 फीसदी को भी अपना घर बंद करना होगा। इस बयान को लेकर मंत्री हफीजुल हसन की चौतरफा आलोचना भी हो रही है।
संजय पोद्दार ने कहा कि एक मंत्री के मुंह से निकला यह बयान दुर्भाग्यपूर्ण और गैर-जिम्मेदाराना है। राज्य के एक मंत्री ने सीधे तौर पर धमकी भरे लहजे में यहां के लोगों को डराने का प्रयास किया है, जो संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को शोभा नहीं देता।
उन्होंने कहा कि मंत्री हफीजुल हसन जिस संदर्भ में यह बात बोल गए, उसकी वास्तविकता के बारे में शायद उन्हें जानकारी भी नहीं है। वास्तविकता यह है कि वहां मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे सहित सभी धार्मिक स्थलों से लाउउडस्पीकर हटाए गए हैं और सभी धार्मिक स्थलों के लिए एक समान कानून लागू किया गया है।
संजय पोद्दार ने कहा कि जहां तक सरकार पर भेदभाव करने का आरोप लगाया जा रहा है, तो मंत्री हफीजुल हसन को बताना चाहिए कि मरहूम हाजी हुसैन जब मंत्री थे, तो उस समय हज हाउस किसने बनवाया था और उसका क्या हश्र हुआ था। बाद में रघुवर दास की सरकार में भव्य और विश्वस्तरीय हज हाउस का निर्माण करवाया गया।
उन्होंने कहा कि यदि आज देश में भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही सभी योजनाओं पर नजर डालें, तो पता चलता है कि प्रधानमंत्री आवास योजना, शौचालय, उज्ज्वला योजना, जन-धन खाता, आयुष्मान योजना, मुफ्त अनाज सहित सभी योजनाओं का सबसे अधिक लाभ अल्पसंख्यक भाई-बहनों को मिल रहा है। मंत्री हफीजुल हसन चाहे तो सर्वे करवाकर इसका पता भी लगवा सकते हैं।
संजय पोद्दार ने कहा कि मुस्लिम बहनों को तीन तलाक जैसी कुरीतियों से छुटकारा मिला और अन्य कई सारी योजनाओं का लाभ अल्पसंख्यक समाज को मिल रहा है। इसके बावजूद मंत्री हफीजुल हसन का यह बयान झारखंड के लिए दुर्भाग्यजनक है। उन्हें किसी भी संदर्भ में सोच-समझकर बात कहनी चाहिए।
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