सामाजिक मीडिया : सरकार की टेढ़ी नज़र

सरकार बंद करना चाहती है जनता की जुबान!

कपिल सिब्बल: सामाजिक मीडिया साइटों को लाल झंडी!
नई दिल्ली, 6 दिसंबर 2011: आज दोपहर की ही बात है। सरकार के एक नए खेल ने पूरे देश को हैरान कर दिया। जो लोग इंटरनेट की दुनिया को पसंद करते हैं, अपनी बात दूसरों के साथ बांटना चाहते हैं और किसी भी मुद्दे पर विचार प्रकट करना चाहते हैं, अब सरकार उन पर ही रोक लगाने का मन बना रही है। देश के केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल की तरफ़ से Google, Facebook, Orkut, YouTube आदि जैसी वेबसाइटों पर अंकुश लगाने के संकेत दिए गए। लेकिन आखिर क्यों?

इस बात को लेकर पूरे देश में बहस का माहौल बन गया है। लोग इस बात को लेकर परेशान हैं कि पहले से ही अपनी जुबान पर लगाम लगाए बैठी जनता की रही-सही जुबान भी क्यों काटी जा रही है! साथ ही लोगों को इस बात का डर भी सताने लगा है कि कहीं उनकी जुबान से कोई ऐसी बात न निकल जाए, जिसे लेकर सरकार के 'सेवक' उन पर ही चढ़ बैठें।

केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल का कहना है कि सामाजिक मीडिया साइटों पर आपत्तिजनक बातें नज़र आती हैं। इससे देश की छवि को नुकसान हो रहा है। उनके अनुसार उन साइटों ने भारत सरकार की बातों को नज़रअंदाज करके अपना काम जारी रखा है।

हालांकि इस मुद्दे पर विपक्षी दलों और समाज-सेवियों का कहना है कि सरकार का यह तर्क बिल्कुल निराधार और बेतुका है। सरकार केवल आम जनता की जुबान बंद करने का प्रयास कर रही है। एक आजाद देश में आम लोगों के पास एक-दूसरे से बात करने, अपने विचार प्रकट करने और अपनी अभिव्यक्ति उजागर करने की पूरी स्वतंत्रता होती है। यही बात भारत में भी लागू होनी चाहिए।

साइटों पर दिया जाता है ''Report Abuse'' लिंक

यह लिंक लगभग हर साइट पर होता है
इंटरनेट के जानकारों का कहना है कि सरकार बेमतलब का हाय-तौबा मचा रही है। लगभग हर साइट पर आपत्तिजनक सामग्री, तस्वीर या किसी भी चीज़ को रोकने का प्रावधान प्रदान किया जाता है। अगर कोई चीज़ किसी व्यक्ति को आपत्तिजनक लगती है, तो वह व्यक्ति उसकी शिकायत करने के लिए 'Report Abuse' लिंक पर क्लिक कर सकता है।

ऐसा करने पर उस वेबसाइट के व्यवस्थापक (Administrator) को पता चल जाएगा कि कौन-सी चीज़ लोगों के लिए आपत्तिजनक है और वह उसे तत्काल हटा सकता है। इस तरह सामाजिक मीडिया या नेटवर्किंग साइटों के दुरुपयोग की आशंका बिल्कुल निराधार है।

केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के रुख के बाद लोग दबी जुबान से यह भी कहते फिर रहे हैं कि अगर उन्हें कोई चीज़ आपत्तिजनक लगती है, तो वे खुद ही 'Report Abuse' लिंक पर क्लिक क्यों नहीं कर देते। ऐसा करने पर उनके लिए आपत्तिजनक चीज़ को उस साइट का व्यवस्थापक हटा सकता है। इसका यह लाभ भी होगा कि वे खुद इस बात का निर्धारण कर सकेंगे कि उनके अनुसार क्या आपत्तिजनक है और क्या नहीं।

हमारे देश की बेजुबान जनता शायद यह समझ नहीं पा रही है कि आखिर सरकार क्यों उसे बार-बार सताने की कोशिश कर रही है। जुबान तो पहले से छोटी थी, अब उसे भी काटने का प्रयास आखिर क्यों? लोग अब अपने मन की बात औरों से कहें भी तो कैसे? शायद अब सरकार ही उसे इस बात का कोई उत्तर दे सके!

-एक बेजुबान प्रतिनिधि

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